-- रोज 16 से 17 घंटे काम परिवार से भी मिलने नहीं जा रहे डीसी
-- 20 मार्च को ट्रेनिंग के बाद से ही घर नहीं गए
-- रूटीन के काम बेशक बंद हो गए मगर इतनी वर्किंग इतनी बढ़ी की चैन से अब 5 घंटे भी नहीं सो पाते
-- इस समय पूरा फोकस कोविड-19 पर है
रेवाड़ी 5 अप्रैल (नवीन शर्मा) करोना के खिलाफ जंग जारी है।सोशल डिस्टेंसिंग और नियम से बार-बार हाथ धोने का पाठ पढ़ाया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि यह नियम सिर्फ आम नागरिकों के लिए है और अधिकारी इसका पालन नहीं करते।
डिप्टी कमिश्नर यशेन्द्र सिंह से मिले ,उनकी बदली दिनचर्या से समझ जाएंगे कि लोगों को पाबंद कर रहे अफसर खुद भी इन पाबन्दियों का पालन कर रहे हैं। सामान्य दिनों के सभी कामों की तुलना में अकेले कोविड-19 (कोरोना वायरस) से लड़ाई ने व्यवस्था बढ़ा दी है। पहले से ज्यादा देर तक हर रोज 16 से 17 घंटे वर्किंग और नींद भी पर्याप्त नहीं मिल पा रही है । फिर भी अफ़सर खुद ऊर्जावान बने हुए हैं और हर विभाग को निर्देशित करने के साथ पूरी मोनेटरिंग भी कर रहे हैं ।
-- पढ़िये इन दिनों डीसी यशेन्द्र सिंह की वर्किंग कैसे चल रही है
सुबह जल्दी उठने के बाद कुछ देर हल्की-फुल्की कसरत के साथ ही रोज की वर्किंग शुरू हो जाती है। कुछ देर शांत चित्त होने के बाद अपना मोबाइल चेक करता हूं । अफसरों के प्लानिंग, इंफॉर्मेशन के साथ ही ऑफिसियल मैल, अपडेट देखते हैं। इसके बाद घर से ही काम शुरू हो जाता है। रूटीन काम तो इस समय बंद है। इसलिए पूरा फोकस कोविड-19 पर है। पहले ऑफिस और सभागार में मीटिंग करते थे तो हर अधिकारी को बुलाते थे। अब सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन की व्यवस्था को देखते हुए केवल उन्हीं अधिकारियों को बुलाते हैं जिनका आना बेहद जरूरी होता है ।ज्यादातर मीटिंग हमने ऑनलाइन (वीडियो ऐप) आदि के माध्यम से शुरू कर दी है। मीटिंग बुलाते भी हैं तो अधिकारी की कुर्सी एक दूसरे से सटी नहीं बल्कि 5 से 6 फीट की दूरी पर होती है ।कई बार दिन में दो-तीन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी हो जाती है ल। फिर दिन फील्ड विजिट की प्लानिंग रहती है ।खाना दिन में सिर्फ एक ही बार ,कभी कबार कुछ मन हो तो दूसरी बार भी खा लेते हैं मगर अपने लिए इस समय वक्त नहीं है। 20 मार्च को ट्रेनिंग से लौटे थे उसके बाद से ही अपनी ड्यूटी पर है। परिवार गुरुग्राम में है। पहले मिलना हो जाता था मगर अब नहीं जा पाए हैं। 16 से 17 घंटे की वर्किंग में सोने का भी समय कहां मिल पा रहा है । मोबाइल से बैडरूम में ही देर रात तक काम करना पड़ जाता है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी व कर्मियों तक निष्ठा से काम कर रहे हैं । मैं खुद हर पॉइंट की मॉनिटरिंग कर रहा हूं ताकि व्यवस्था बनाई जाए ।युवाओं को भी सोशल डिस्टेनसिंग की पालना करनी चाहिए ।बाहर निकलने से पहले परिवार और समाज की चिंता करें। यह एक ऐसा संक्रमण है कि व्यापक स्तर पर जाने के बाद इससे बचना और दूसरों को बचाना मुश्किल हो जाएगा । ऐसे में सतर्कता बहुत ही जरूरी है
--युवाओं को सलाह बोले
बेवजह सड़कों पर निकले अपने परिवार के बारे में अवश्य सोचें लोगों को पाबंद करने वाले अक्सर खुद को भी पाबंद कर रहे हैं।