Monday, 21 September 2020

कांग्रेस के झूठ के पैर नहीं, फसल खरीद शुरू होते ही सच सामने आएगा: वंदना पोपली


-धरने पर बैठी कांग्रेस ने किसानो को क्यों नहीं बताया की 2019 के अपने घोषणा पत्र में अपने ही वायदे का विरोध किस राजनीती के तहत कर रही है

-भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश मीडिया पेनलिस्ट वंदना पोपली ने किसानो को गुमराह करने के लिए कांग्रेस पर झूठ फ़ैलाने का आरोप लगाया

रेवाड़ी 21 सितंबर(नवीन शर्मा)कृषि विधेयक किसानों के लिए वो खुशखबरी है जिसका वे बरसों से इंतजार कर रहे थे. मोदी  सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिएउन्हें मजबूती प्रदान करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. देश के किसान को अपने अनाज को कहीं भी बेचने की आजादी होगी. कृषि विधेयक के मुताबिक किसानों को अपनी पसंद के बाजार में उत्पाद बेचने की छूट मिलेगी. किसानो के सामने विकल्प खुल गए है की वे अपनी उपज सरकार को एमएसपी पर भी बेच सकते है और खुली मंडियों में भी बेच सकते है जहाँ उनको दाम अच्छे मिले वहीँ पर  अपनी उपज बेचे सरकार ने मंडी व्यवस्था बंद नहीं की है पर किसानो के हाथ खोल दिए है चाहे वो अपने बाग़ के बाहर रख कर फल बेचे चाहे कंपनी को बेचे या फिर सरकार को बेचे जो संघटन और पार्टिया विरोध कर रहे है वो केवल इसमें राजनीती कर रहे है एक बात जो बहुत जोर देकर विरोध में कही जा रही है कि कंपनियाँ फसल पकने के बाद किसान को कम दाम देने के लिए बाध्य करेंगी और इस तरह किसान का शोषण होगा वह पूर्णतया कांग्रेस द्वारा फैलाया झूठ है क्योंकि फसल का क्या भाव होगाये सब पहले से ही लिखित रूप में होगा। कम्पनी और किसानो में जमीन को लेकर कोई करार नहीं होगा  

वंदना पोपली ने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसान को फसल बेचना सिखा दिया है भाजपा सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण आज हर फसल का उचित मूल्य किसान को मिल रहा है। किसान की फसल के दाने दाने की पूरी खरीदारी हो रही है किसान को उसके खाते में पैसे मिल रहे हैं।आगे चलकर खेती किसान के लिए फ़ायदे  का सौदा बनेगी किसान हितैषी सरकार ने किसानो के लिए नए रास्ते खोल दिए है किसानो को कृषि उत्पादों का सही मूल्य बिक्री के तीन दिनों के भीतर मिलेगा 

लेकिन ये बात सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस को सहन नहीं हो रही तभी वो आरोप लगा रहे है कि इससे एमएसपी खत्म होगा। लेकिन किसी ने भी ये नहीं बताया कि कैसे खत्म होगाइसलिए उनके कहे में सच कम और राजनीतिक अंध विरोध ज्यादा है। अब यह तो किसानों को तय करना है कि वह अपनी फसल सरकार को बेचता है या व्यापारी या कंपनी को। जब मंडी व्यवस्था जारी रहेगी तो एम एस पी का सवाल भी बेमानी लगता हैक्योंकि मंडी व्यवस्था में एमएसपी ऐसे ही लागू रहेगा तथा एम एस पी के निर्धारण की प्रक्रिया ऐसे ही लागु रहेगी। कांग्रेस का झूठ ज्यादा लम्बा नहीं चलेगा खरीद शुरू होते ही सच सामने आएगा और कांग्रेस के पास कहने को कुछ भी नहीं होगा। आज भी कांग्रेसियो को जवाब देना चाहिए की अपने घोषणा पत्र में दिए गए वायदे का विरोध किस राजनीती के अंतर्गत  कर रहे है। कांग्रेसी खुद तो झूठ बोलते है तथा अपने घोषणा पत्र को झूठा ठहराकर अपनी सच्चाई जनता को दिखा रहे है।

 कांग्रेस 2004 से 2014 तक लगातार 10 साल सत्ता में रही। उनकी UPA सरकार ने एक भी ऐसा पक्का और स्थायी इंतजाम नहीं किया जिससे किसानों की हालत में जरा सा सुधार होता। नब्बे के दशक के उत्तरार्द्ध में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत को सलाह दी थी कि उसे कृषि पर लोगों की निर्भरता को कम करके उन्हें मजदूर के रूप में शहरों में ले आना चाहिए। कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस एजेंडे को पूरा करने के लिए कोई कसर नही छोड़ी। आईएमएफ की मंशा साफ है कि कृषि पर सब्सिडी बंद करोकिसानों को इतना हताश करो कि वे खेती छोड़ कर मजदूर बन जाएं।लेकिन मोदी सरकार ने बार बार अपनी मंशा बताई है की वो 2024 तक किसानो के आय को दोगुना करना चाहती है उसी को लेकर तमाम प्रयास किये जा रहे है लेकिन विपक्षी दलों द्वारा खासकर कांग्रेस द्वारा किसानों को भरमाया जा रहा है कि  कंपनियाँ किसानों को बढ़िया कीमत देने से मुकर जाएँगी। जबकि कृषि विधेयक में साफ है कि सभी कमिटमेंट (समझौते) लिखित रूप में होंगे। जिसका उद्देश्य यह है कि किसान अपने कृषि उत्पादों को स्पॉन्सर्स को आसानी से बेच सकें।