Wednesday, 10 November 2021

दिल्ली से आई 4 सदस्यों की टीम ने सोलाहराही और बड़ा तालाब का निरीक्षण किया; पर्यटक स्थल बनाने की योजना

प्राचीन धरोहर सहेजने की तैयारी 

रेवाड़ी 11 नवंबर(नवीन शर्मा)
पीतल नगरी के नाम से देश भर में प्रसिद्ध रेवाड़ी शहर अपने गर्भ में कई प्राचीन धरोहरों को संजोए हुए हैं। जिनमें बड़ा तलाब,सोलाहराही तालाब,छोटा तालाब, हेमू की हवेली, मुक्ति हवेली, लोको शेड व बाजार के चारों ओर बने चार दरवाजों का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। लोको शेड को छोड़कर देखभाल के अभाव में अधिकतर समय के साथ अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। जिन्हें अब सरकार ने सहेजने की तैयारियां शुरू कर दि है। 
आर्किटेक्ट मुनीष पंडित की अगुवाई में दिल्ली से आई 4 सदस्यीय टीम ने हनुमान मंदिर के पास स्थित बड़ा तालाब व सेक्टर-1 में नेहरू पार्क के पास बने सोलाहराही तालाब का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टीम ने तालाबों के प्राचीन महत्व को बरकरार रखने के साथ उन्हें टूरिस्ट स्थल के रूप में विकसित करने की संभावनाओं को तलाशा, ताकि इन प्राचीन धरोहरों को सहेजने के साथ इन्हें लोगों के लिए आकर्षक बनाया जा सके।
टीम अगले करीब एक माह में अपनी रिपोर्ट तैयार करके संबंधित विभागों को सौंपेगी। जिससे अब शहर के बीच में बनी प्राचीन धरोहरों की सरकार द्वारा सुध लेने की उम्मीद बनी है।  टीम में शर्मिला,वसीम व योगेंद्र शामिल रहे।

-1995 में अंतिम बार आया पानी
बड़ा तालाब यानि तेज सरोवर को किसी जमाने मे रेवाड़ी के राजा तेज सिंह ने बनवाया था।बड़ा तालाब और सोलाहराही तालाब दोनो प्राचीन धरोहर है। कई एकड़ में फ़ैले इन दोनों हो तलाब से विभिन्न दिशाओं में रास्ते निकलते है। शासन और प्रशासन की अनदेखी की वजह से अतिक्रमण व अव्यवस्थाओ के कारण आज यह ऐतिहासिक तालाब अपनी पहचान खोने की कागार पर है। दोनों ही तलाब में अंतिम बार पानी 1995 मे आई बाढ़ के समय देखने को मिला था।एक बार इन दोनों ही तालाब को पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के प्रयास जरूर हुए। लेकिन इसके लिए करवाई आगे नहीं बढ़ी । अब एक बार फिर 4 सदस्य टीम के निरीक्षण करने पहुंचने के बाद उम्मीद जगी है।

- पर्यटक स्थल बनाने के रहेंगे प्रयास
दिल्ली की कंसलटेंट कंपनी के डायरेक्टर  पंडित ने बताया कि 4 सदस्य टीम ने इन दोनों ही तालाब का निरीक्षण किया है। इन्हें पर्यटक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के साथ इनके प्राचीन स्वरूप को बनाए रखने व संरक्षित करने की संभावनाओं का पता लगाने का प्रयास किया ।जिसमें तालाब में पानी डालना भी शामिल है । सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।हमारा प्रयास अगले 1 महीने में रिपोर्ट तैयार कर संबंधित विभागों को सौंपना है ताकि रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद आगामी प्रक्रिया शुरू की जा सके|